Saturday, 19 November 2011

फिल्म स्ट्रगलर्स

हिंदी फिल्मो में लोग  १०० रूपये से   लेकर  से १००० रूपये   के हिसाव से काम करते है वह भी डेली के मजदूर है कभी काम मिलता है कभी नहीं | हर किसी के मन  इच्छा होती है वह किसी  दिन बड़ा एक्टर  , डांसर , सिंगेर ,डिरेक्टर , रायटर बनेगा |  फिल्म  स्ट्रगलर्स मुंबई में चाल में रहकर फिल्म  स्ट्रगलर्स करने पर मजबूर है , वह किसी भी कीमत पर अपनी मंजिल पर पहुचना चाहते है चाहे कुछ हो  | 

बॉलीवुड में लूटेरो की कमी नहीं है  वह काम दिलाने के नाम  सब  कुछ लूट लेते है  |  मै  एक  दिन फिल्म कॉमेडियन  एक्टर  कवि  अहसान कुरैशी का साक्षात्कार लेने गया ,| कुरैशी जी बोले गंगवार जी हम  वेर्सोवा  में काफ्फी होम में  मिलते  है  | साक्षात्कार का टाइम  पहले से निश्चित था  | कुरैशी जी थोडा सा लेट हो गए  , मैंने सोचा जरा भाई दूसरी तरफ का नजारा भी देख लू .  |

मै इधर उधर टहल रहा था तभी मेरी नजर ४ फुट के  आदमी पर पड़ी  | वह मोबाइल लेकर  इधर उधर चक्कर काट रहा था. कभी वह मुझे घूरता तो कभी मै उसे घूर लेता   | थोड़ी देर बाद वह आकर बोला ,क्या आपको एक्टर बनना है , मैंने भी मजाक में बोला की भाई बनवा दो  |  खैर कुछ देर बाद वह अपनी जात पर उतर आया  | बोला बॉस बॉलीवुड में काम येशे  नहीं मिलता है |

मै बोला भाई तरीका बता दे | वह तपाक से बोला तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है   मैंने हां कर दी | फिर आपको काम मिल सकता है  उसे देखना पड़ेगा  | मै बोला भाई ,मुझे काम चाहिए  गर्ल फ्रेंड को नहीं ?  अरे यार उसके बलबूते पर ही तुमको काम मिलेगा .  ? मै उसका इशारा समझ चुका  था | 

 तभी पीछे से आवाज आयी अवे क्या मुर्गा मिला की नहीं ? मै बोला -भाई मुर्गा काटने के चक्कर में एक घंटा से पका रहा है  तब तक मुझे कुरैशी जी का फ़ोन आ गया  मै उधर से चलता बना  ? बाकी की कहानी बाद में ?

सुशील गंगवार  (फिल्म पत्रकार  )

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